आसमान में डायनासौर - 4

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आसमान में डायनासौर 4 बाल उपन्यास राजनारायण बोहरे जब जागे तो वे चौंक गये उन्होंने अपना यान पुच्छल तारे के पीछे लपकता हुआ लगाया था सो सबसे पहले उन्होंने शुक्र, पृथ्वी और पुच्छल तारे को देखने का प्रयोग किया। तोबा रे तोबा न कहीं वह पुच्छल तारा दिखता था न ही कही परिचित ग्रह और उपग्रह दिख रहे थे। प्रो. दयाल बड़े हैरान हुये। क्या हुआ वे कहां आ गये न कहीं सूर्य दिख रहा है न ही कहीं चुद्रमा, युरेन या शुक्र की आकृति झिलमिलाती प्रतीत होती हैं। न दिशा