बेनाम शायरी - 5

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बेनाम शायरी?? ?? ?? ?? ?? ??हम चांद को पाने की हिमाकत लिए बैठे है।हम धरती पर रहकर आसमान लिए बैठे है।।?? ?? ?? ?? ?? ??डूबने का डर लिए समन्दर किनारे बैठे है।टूटने का डर लेकर वो इश्क किए बैठे है।।?? ?? ?? ?? ?? ??तुम क्या जानो चाहत की गर्दिश।दिन में भी सितारे नज़र आते है।।?? ?? ?? ?? ?? ??उम्मीदों के पंख आज आसमानों पर छाए है।"बेनाम" डर से आज मेरे होंसले टकराए है।।?? ?? ?? ?? ?? ??बेनाम, मै मोत का मुंह कब तलक मोडू।ये बक्षिस