बहुत समय पहले की बात है। तब वर्तमान जैसी आधुनिक चिकित्सा पद्धति नहीं थी।उस समय वैद्य हुआ करते थे, कुछ तो इतने कुशल और प्रसिद्ध होते थे कि किसी का इलाज शुरू कर दिया तो रोगी को ठीक करके ही दम लेते थे।ऐसे वैद्यों को धन्वतरि कहा जाता था। जो किसी भी रोग का इलाज जड़ी-बूटियों से करने सक्षम थे।ऐसे ही एक वैद्यराज शिवानंद थे जो कि शिवभक्त भी थे।जब भी समय मिलता भगवान शिव का गुणगान करते और दीन-दुखियों की सेवा करते। भगवान शिव की भी मानो उन पर बड़ी कृपा थी जो भी रोगी उनसे इलाज कराता, बहुत