तू खुश है ना?

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एक छोटी सी रचना है आजकल के कथित प्रेम में पड़कर अपने बाप,भाई,परिवार का मखौल उड़ाने वाली लड़कियों के लिए.वो तो चली जाती है अपने अरमानो को पंख लगाकर अपने सपने को हकीकत बनाने बिना इस अहसास के कि पीछे उसके अपनो पर क्या बीतेगा? क्या होगा उस बाप का जिसने इतने अरमान सजाए थे उसको लेकर? वो बाप जो कभी लड़ गया था पुरे समाज से यहां तक की अपनी पत्नी से भी क्योंकि उसकी लाडली को पढ़ाई के लिए शहर जाना था।उसने तो कोई कसर न छोड़ी न तुम्हारे सपनो को पूरा करने के लिए फिर क्यों एकबार