नूपुर का मन रीछों के बीच नहीं लग रहा था. जानवर चाहें कितना भी प्यार क्यों न करें, जानवरों के साथ कोई भी इंसान अपनी पूरी जिंदगी नहीं गुजार सकता. उसे मनुष्य के साथ की आवश्यकता होती है. वह.उन्हीं के बीच रहना चाहता है. नूपुर ने जबसे इस जंगल में मनुष्यों को देखा.उसका मन रीछों से उचट गया. उसके विचार से रीछों से अच्छे वो जंगली इंसान थे.उसने उन जंगली मनुष्यों के बीच रहने का निश्चय कर लिया. वह यहां से निकलने के रास्ते खोजने लगी.उसने फैसला कर लिया-आज रीछों के यहां से जाते ही,वह भी यहां