नारद और महन्त नारद जी ब्रम्हाण्ड का भ्रमण करते-करते आर्यावर्त के इस रेवा खण्ड के एक नगर में अवतरित हुए। यहां उन्होंने देखा एक पत्थर पर एक भगवा वस्त्र धारी ने सिन्दूर पोत दिया था। कुछ फूल चढ़ा दिये थे और अगरबत्तियां जला दी थीं। श्रद्धालुओं ने वहां आकर पूजा-पाठ करना और पैर पड़ना और आशीर्वाद पाना प्रारम्भ कर दिया था। श्रृद्धालु भावनाओं के सैलाब में बहकर धन चढ़ा रहे थे। पत्थर के आसपास और भी भगवा वस्त्रधारी आने लगे थे। जिसने सिन्दूर पोता था वह वहां महन्त के रुप में जम गया था। नारद जी सोच रहे