उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 22 " जब तक मेरे प्रति अपनी भावनाओं के विषय मे आपने कुछ नहीं कहा था, और मेरा आकर्षण भी आप नहीं जानते थे, उस वक़्त तक फिर भी ठीक था, पर अब नहीं। यह बहुत खतरनाक स्थिति है। हो सकता है कभी कोई हमारे मन के इस चोर को पकड़ ले। हो सकता है कभी हम स्वयं की भावनाओं पर से नियंत्रण खो बैठें। फिर ... ?" बात समाप्त होते होते उनके चेहरे पर भी चिंता की लकीरें खिंच गई थीं । वह समझ गए थे कि आगे चलकर परिस्थितियाँ कितनी विकट हो सकती