राम रचि राखा - 3 - 5

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राम रचि राखा तूफान (5‌) सुबह उजाला होते ही नाविक ने डीजल भरा और नाव चला दी। नाव में अब खाने के लिए थोड़े से कोंदो के अलावा कुछ भी नहीं था। दूध का एक बूँद भी नहीं बचा था। बच्चे क्या पियेंगे? थोड़ी ही देर में बच्चों का क्रंदन आरम्भ हो गया। घोष बाबू का पौत्र और एक दूसरा बच्चा, दोनों ही भूख से चिल्लाने लगे। अंश भी खाना माँगने लगा। रामकिशोर की बेटी भी लगभग आठ-नौ साल की रही होगी। वह भी खाना-खाना रटने लगी। सप्तमी ने अंश को कुछ बिस्कुट खाने को दिया। वह हमेशा अपने बैग में