उजाले की ओर - 3

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उजाले की ओर -- 3 ------------------ स्नेही एवं प्रिय मित्रों सभीको मेरा नमन यह संसार एक बहती नदिया है जिसमें सभीको हिचकोले खाने हैं ,कोई तैर जाता है तो कोई लहरों से टकराता रहता है ,कोई डूब भी जाता है |किन्तु डूबने के भय से हम तैरना तो नहीं छोड़ सकते ! हमें अपने –अपने कर्मों के अनुसार कार्यरत रहना ही होता है,जीवन के समुद्र में तैरना ही होता है | जीवन की इस यात्रा में न जाने कितने ऊबड़-खाबड़ मार्ग आते हैं ,सदा सीधा ही मार्ग हो ऐसा जीवन में कहाँ होता है? जब हम