कर्म पथ पर - 67

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कर्म पथ पर Chapter 67वृंदा और जय हर एक चीज़ से बेखबर कुछ देर तक एक दूसरे के आलिंगन में बंधे खड़े रहे। सूरज डूब चुका था। सर्दियों का मौसम था। अंधेरा जल्दी गहरा जाता था। ठंड भी बढ़ गई थी। जय ने सुझाव दिया कि आज दोनों अलग अलग जाने की जगह एक साथ ही जाएंगे। वह उसे उसके घर छोड़कर अपने घर चला जाएगा। पर वृंदा ने मना कर दिया। वृंदा नहीं चाहती थी कि जब वह