राम रचि राखा - 3 - 4

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राम रचि राखा तूफान (४) दो घंटे के बाद तूफान का जोर थम गया। सबकी जान में जान आयी। चलो बच गए। नीचे पूरा पानी-पानी हो गया था। बहुत से लोग नीचे से ऊपर आ गए। ऊपर के मेज सारे उड़ गए थे। कुर्सियाँ जो नाव की रेलिंग से बँधी हुयी थीं वे बच गई थीं। किन्तु उनमें से कई पानी के थपेड़ों के प्रहार से टूट चुकी थीं। नाविक के केबिन का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। किन्तु आगे का भाग अभी भी सुरक्षित था। दोनों नाविक अपनी जगह पर डँटे हुए थे। कई लोग ऊपर आकर घूमने फिरने लगे थे। किन्तु कुछ लोग अभी भी भय से नीचे