लोको पायलेट लेखिका -रेखा पंचोली "अरे बहु ! जरा चाय तो दे जा बड़ी देर से इंतजार कर रही हूँ |"कमरे से माँ की आवाज आई | लो अब ये भी उठ गईं...और उठते ही चाय का हुक्म जारी हो कर दिया | मेरी की कर्कश आवाज रसोई घर में गूंज रही थी | इसकी आवाज दिन ब दिन इतनी कर्कश क्यूँ होती जा रही है | माइकल सोच रहा था उसने खिड़की से किचन में काम करती मेरी को देखा | मेरी का बडबडाना बदस्तूर जारी था | वह थोडा लंगड़ा कर भी चल रही थी | हो