गवाक्ष 17== निधी को वास्तव में दुःख था, बेचारा ! इतना कठिन कार्य संभालता है फिर भी उसकी स्थिति धरती के किसी निम्नवर्गीय प्राणी से अधिक अच्छी नहीं थी । "इस भौतिक संसार में इस कला का यह परिचय केवल प्रथम चरण ही था। अभी इसमें बहुत कुछ संलग्न करने की आवश्यकता थी, पारंपरिक शैक्षणिकता का सम्मिश्रण होना आवश्यक था। शास्त्रीय संगीत केवल मनोरंजन की कला नहीं है, यह नैतिकता, आचार व आध्यात्मिकता कासमन्वय है अत:इसमें कुछ विशेष योग्यताओं का होना अपेक्षित है। ""तो इस कला का शिक्षण कैसे लिया जा सकता है?""इस शैक्षणिक कला में गुरु-शिष्य परंपरा है तथा इसकेमूल सिद्धांत गुरु, विनय एवं साधना हैं।