धड़कनों में तुम बसे

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धड़कनों में तुम बसे... दरवाजे के अंदर पैर रखते ही हर बार की तरह ही अनिरुद्ध के दिल की धड़कन अनियंत्रित हो गई। पैरों में अजीब कंपकपी सी आने लगी। देखने में वे एकदम सामान्य चाल से चल रहे थे लेकिन भीतर से मन की हालत वैसी ही अजीब सी हो रही थी जैसी हर बार हो जाती है। लिफ्ट से वे तीसरी मंजिल तक पहुंचे, एक लंबा कॉरीडोर पार करके दाएं तरफ मुड़ गए। सामने एकदम शांति थी। दरवाजे पर लाल अक्षरों से लिखा था- आई. सी. यू. अनिरुद्ध ने कांपते हाथों से दरवाजा खोला और अंदर चले आए। दोनों