और उस दिन

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घटना या हादसे कभी किसी खास को नहीं चुनते,वो एकदम से साधारण दिखने वाले हम और आप जैसे चेहरों को,अपना बना लेते हैं।हर रोज सालों से,अब जब खुद को तो याद नहीं कि पहला कदम कब चला था,तब से अब तक निरंतर चलते ही आ रहे हैं। फिर भी,अचानक एक दिन,गलत कदम कैसे उठ गया..,और कोई गाड़ी ऊपर से कुचलती..,अब कोई नई बात तो थी नहीं..वही सड़क वही लोग और वही रोज के हम! फिर वही हमारे आम चेहरे और नाम का,अचानक से खास बन जाना।अखबार के किसी पन्ने के किसी कोने में खुद को दर्ज करवा लेना।कई बातें हैं जिंदगी