पुस्तक समीक्षा-राजेन्द्र लहरिया

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पुस्तक समीक्षा- आलाप-विलाप: समझदारी और गहराई भरा कथ्य राजनारायण बोहरे आलाप-विलाप उपन्यास राजेन्द्र लहरिया का आकार में एक लघु उपन्यास है लेकिन इसके आशय बहुत गहरे और सूक्ष्म हैं। यह उपन्यास ऐसे दौर में सामने आया है जब यह महादेश अन्ना हजारे द्वारा शब्दांकित कर दी गई जन सामान्य की निराशा को यकायक अपने भीतर से उठती अलग-अलग रूपों की असंतुष्टि व पीड़ा के रूप में महसूस रहा है। भले ही अन्ना की वास्तविकता और उनके पीछे का नेैपथ्य अभी साफ नहीं हो सकता है लेकिन इतना तय है कि उनकी अंगुली सही दिशा में संकेत