“सोनचिड़िया : रेत पर नाव खेने की कहानी” आज के दौर में अगर डकैती पर केन्द्रित कोई फिल्म बनती है, तो यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि वह पुरानी लकीर को पीटने वाली कोई चलताऊ टाइप की बी-ग्रेड फिल्म होगी | लेकिन “सोनचिड़िया” में डकैती केवल बाहरी कलेवर है, केन्द्र बिन्दु नहीं | इस फिल्म की धुरी है – पश्चाताप, सघन और अनवरत पश्चाताप | वह पश्चाताप जो महाभारत युद्ध के बाद पांडवों को हुआ था और वो हिमालय चले गए थे, वह पश्चाताप जो कलिंग युद्ध के बाद चण्ड अशोक को हुआ था और वह बुद्धम्