एक और परी-वृतान्त

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एक और परी-वृतान्त अपने पिता और निम्मो आंटी की इस पच्चीसवीं वर्षगाँठ पर हम जुड़वाँ बहनों को अनायास ही एक पुरानी लोकोक्ति ही याद आ जाती है, 'किसी भी मेंढक को देखकर आप अनुमान नहीं लगा सकते वह कितना ऊँचा कूद सकता है|’ निम्मो आंटी हमारे जीवन के चौथे वर्ष में हमारे पास आयी थीं| हमारे पिता के पैतृक गाँव से| हमारी नौकरानी के रूप में| ‘मेंढकी’ नाम उन्हें हमारी माँ ने दिया था| हम बहनों को एक परी-कथा सुनाते समय| परी-कथा में एक राजा पिता अपने तीनों राजकुमारों को अपने-अपने चिन्हित निशानों पर तीर छोड़ने के बाद उसी तीर