अफवाहों के शिकार मासूम - अफवाह

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प्रिय पाठकों मेरा सादर प्रणाम मैं रनजीत तिवारी आप सबके बीच ऐसी घटनाओं का वर्णन करने वाला हूं। जिससे आपकी यादों में ताजगी आएगी और आप उस दिन को याद करके हंसने लगेगें या फिर अपने समाज में फैले झुठे लोगों को कोसने लगेंगे।यह बात लगभग उन दिनों की है जब मैं15-16 साल का था।मैं अपने मामा के गांव गया हुआ था रात को खाना खाने के बाद मेरे छोटे वालें मामा एक फिल्म लगा दिए जिसको हम सब बैठकर देख रहे थे।उस समय सिडी,डीभीडी नया नया आया था बजार में तो बहुत उत्साहित होकर हम सब प्लान करके फिल्म