केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 17 एक किनारे की नदी बाली का किसी से फोन पर झगड़ा हो रहा था और तैश में आकर वह मारपीट की धमकी दे रहा था। जाहिर था कि यह पैसों के अलावा तो कोई बात हो ही नहीं सकती। उस दिन बाली के तेवर देखकर धानी सिर्फ आशंकित ही नहीं भयभीत भी हो गयी थी। उसे लगने लगा था कि अब शायद हालात और भी खराब हो। उस दिन पहली बार आर्या अपने पापा के लिये डरी थी, पापा से भी डर लगा था। उस झगड़े के बाद घर की खामोशी और भी बढ़