भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना ये कोहरे मेरे हैं भवानी प्रसाद मिश्र ’’गीत फरोश’’ जैसी कालजयी कविता के रचयिता भवानीप्रसाद मिश्र की काव्य संवेदना जीवन के सरोकारों की दृष्टि से जितनी व्यापक है उतनी ही अनुभूति के स्तर पर सघन है। अभिव्यक्ति की सहजता और गीतात्मक शिल्प के आधार पर वह अपनी तरह के अकेले कवि हैं। छायावाद के अन्तिम चरण से प्रारम्भ होकर पांच दशकों से अधिक तक चलने वाली उनकी अनवरत काव्यसर्जना में ‘गीतफरोश’ से ‘ये कोहरे मेरे हैं ’ तक अठारह काव्य संग्रह और एक खण्डकाव्य ‘कालजयी’ शामिल है। परिमाण-प्रचुरता के साथ ही समसामयिक संदर्भो