यूँ ही राह चलते चलते -30- सुमित ने मेट्रो ट्रेन और स्टेशन तक जाने का रास्ता बता दिया और सबको स्वतंत्र कर दिया घूमने के लिये। अर्चिता ने यशील से पूछा तुम्हारा कहाँ जाने का इरादा है ?’’ ‘‘हम तो पहले लंदन आई फिर मैडम टुसाड का म्यूजियम देखने जाएँगे’ ’यशील ने कहा। ‘‘ और तुम भी वहीं चलोगी ’’ यशील ने साधिकार कहा। अर्चिता को उसका यह अधिकार जताना अच्छा लगा उसने इठला कर कहा ‘‘ अगर मेरा मन न हो तो?’’ ‘‘ तो जहाँ तुम जाओगी वहीं मैं भी चला जाऊँगा’’ यशील ने बेचारगी से कहा, दोनो हँस