बेनाम शायरी - 3

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बेनाम शायरी?? ?? ?? ?? ?? ??ये शराब तो बस नाम से बदनामी झेल रही है।असल में नशा तो हमे तेरी आंखे ही दे रही है ।।?? ?? ?? ?? ?? ??इश्क की कुर्बानी को जायज किसने माना है!?"बेनाम"दर्द की इस दुश्वारी को किस किसने पहचाना है !??? ?? ?? ?? ?? ??आंसुओ के कहां कोई किनारे है।मयखानों में छुपे दर्द हजारों है।।?? ?? ?? ?? ?? ??ये नजरो की नजाकत जो तुम हथियार बनाए बैठे हो। यकीन मानो तुम इश्क की एक जंग सजाए बैठे हो।।?? ?? ?? ?? ??