साहब इस बार होश में आये तो वे काफी स्वस्थ थे। फौजी जासुस केदारसिंह और उनकी पत्नि यानि की अजय-अभय की माँ उनके पास ही बैठी थी। पुलिस कोतवाल साहब भी मौजूद थे। दयाल साहब ने कहना शुरू किया- “सभी लोग सुनिये, मैं पिछले दिनो एक नया प्रोग्राम कर रहा था कि अंतरिक्ष में रॉकेट के खर्चिले साधनो के अलावा क्या एसा कोई दुसरा साधन है, जिससे कोई यान अंतरिक्ष में भेजा जा सके। मेने एसी ही देशी पद्धति का एक साधन खोज लिया था।