शोर... एक प्रेमकहानी - 3

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पुलिस ने बचाव किया तेज़ का लेकिन उनकी बातों से लग रहा था की कितनी फ़िक्र है. कोई सवाल ना उठे और तेज बच भी जाय. नरेन्द्र कम नहीं था वो भी जिद पर अड़ गया नहीं मैं रिपोर्ट तो लिखवा के ही जाऊंगा. लेकिन वहाँ से धक्के मार कर भगा दिया गया. दुःख तो हुआ लेकिन हार नहीं मानना है निश्चय किया. पुलिस वाले भी कम नहीं थे. खाते थे तो इमानदार भी थे हाँ सरकार के प्रति इमानदारी कहाँ मायने रखती है. नरेन्द्र के जाते ही तेज़ के पास खबर पहुंच गयी और साथ ही सलाह भी दे दी