13 जनवरी रुद्रपुर के एक हॉस्पिटल में मेने इस दुनिया को पहली बार देखा।बहुत यादगार था वो पल लेकिन बहुत दुखदायी भी।मेरी हालत बहुत दयनीय थी।डाक्टर्स ने मुझे एमरजेंसी वार्ड में सिफत किया। वहां 21 दिन काच के बॉक्स में बंद रहने के बाद मुझे घर भेज गया। वहां पहुंच कर मेने पहली बार दुनिया को जाना। कितने सारे लोग वहां मेरा इंतेज़ार कर रहे थे। धीरे धीरे समय बदन्त गया।मेरी बीमारी भी बढ़ती गयी और घर वालो का प्यार और नफरत भी ।डाक्टर्स बदले लेकिन मेरी बिमारी सही नई हुई।मेरे जन्म के कुछ दिन बाद ही मेरी माँ की