आनन्द की देह को सामने देखकर श्लोका निरंक खड़ी रहती है। दूसरी ओर आनन्द के पिता अपने कलेजे पर पत्थर रखकर उसके अंतिम संस्कार की तैयारी करते हैं। थोड़ी देर में आनन्द को अंतिम संस्कार के लिए ले जाते हैं। आनन्द की माँ बेजान सी हो जाती हैं। श्लोक की माँ आनन्द की माँ को सहारा देती है। आनन्द की बहन आनन्द की दादी को हौंसला दे रही होती हैं। श्लोका एक कोने में खड़े अपने सारे लम्हें याद कर रही होती है जो उसने आनन्द के साथ बिताए थे। अंतिम संस्कार की विधि पूरी