प्रेम की बहार

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कहानी-- प्रेम की बहार आर.एन. सुनगरया गर्मी की छुट्टियों में, जब किशन वर्षों बाद अपने गॉंव लौटा, तो वह फूला नहीं समा रहा था। उसका हृदय खुशी से उछल रहा था। मगर उसे क्‍या मालूम था कि उसके अपने घर में और दूसरे नहीं अपने सगे ही, उसके कोमल हृदय को छलनी कर देंगे। शायद उदासी से मुक्ति पाने के लिए वह, पैर घसीटता उस मनोरम स्‍थान पर आ पहुँचा है, जहॉं लोग कड़कती धूप और खेतों के डीमोर से संग्राम करने के बाद आकर स्‍वर्ग सा आनन्द मेहसूस करते हैं। उसने कुँऐ में