दूसरा सूरज

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दूसरा सूरज--लवलेश दत्त“लोग कहते हैं...मैं शराबी हूँ...तुमने भी ...” लड़खड़ाती ज़बान से गाते हुए चरनजीत घर में घुसा और दरवाजे को जोर से बन्द करके गुसलखाने में चला गया।दरवाजे की आवाज से मनप्रीत की आँख खुल गयी। वह झटपट सोफे से उठी और रसोई में जाकर खाना गरम करने लगी। लगभग दो मिनट बाद चरनजीत डायनिंग टेबल पर आ बैठा और जोर से बोला, “ओए प्रिंसी की माँ, जल्दी ला खाना, पेट में आग पड़ी है।”“आज फिर पीकर आए हो, कितनी बार कहा तुमसे कि बच्चे...” कहते हुए उसने थाली लाकर चरनजीत के आगे रख दी। “ओए चुपकर, खाना खाने दे