उर्वशी - 13

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उर्वशी ज्योत्स्ना ‘ कपिल ‘ 13 पूरे रास्ते वह मौन रही, शिखर बार बार उसे देखते और फिर दुखी हो जाते। उसके जाने का ख्याल उन्हें परेशान कर रहा था। अब वह कभी लौटकर नहीं आएगी। काश वह किसी तरह उसे रोक पाते। उनका जी चाह रहा था कि गिरेबान पकड़ कर शौर्य को लाएं और उसके कदमो में डाल दें, कि लो, यह रहा तुम्हारा अपराधी। इसे जो चाहे सज़ा दो। पर वह कुछ कर नहीं सकते थे। फ़्लाइट मुम्बई पहुँची तो शिखर के स्टाफ़ से दो मजबूत कद काठी के नज़र आते व्यक्ति, उनके स्वागत के लिए हवाई