कातिल कौन ? “क्योंकि औरत होना पहला गुनाह है” “उसका दूसरा गुनाह है बाप दादा भाइयों की मिलकियत बन ज़िन्दगी गुजारना और अपने बारे में कभी न सोचना” “उसका तीसरा गुनाह है गूंगी गाय सी हंक जाना जहाँ चाहे वो हाँक दें लेकिन उफ़ भी न करना” “उसका चौथा गुनाह है मिल्कियत और चेहरों के बदलने पर भी चुप रहना उसे उसका अधिकार चुपचाप देना और खुद पीड़ा सहना फिर वो शारीरिक हो या मानसिक, आर्थिक पीड़ा तो किसी पीड़ा के क्षेत्र में आती ही नहीं” “उसका पांचवां गुनाह है उसकी चाहत के अनुसार बच्चे पैदा कर देना, न लिंग