इधर उस दिन जब सत्य देव भाभी के कहने पर आम के बाग में टिकोले लाने पहुंचा, तो उसनेे देखा पेड़ के नीचे तीन साधु बैठे हुए थे। उनको देख कर सत्य देव अचकचा सा गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि ये कहां से आ गए..? ये बाग उसकी तो है नही। वो तो दूसरे के बाग में टिकोले तोड़ने आया है। ऐसा न हो ये साधु उसे डांटे। सत्य देव की घबराहट को साधुओं ने भांप लिया। उन्होंने बड़े प्यार भरी नजरों से सत्य देव की ओर देखा और कहा, बालक..! इधर आओ बालक..! डरो मत ..। पहले तो सत्य देव डरा। फिर उन साधुओं की आखों की आंखों में हिचकिचाहट के साथ सत्य देव थोड़ा आगे बढ़ा। साधुओं ने फिर कहा, आओ बालक घबराओ नहीं। हमारे पास आओ। अब थोड़ी हिम्मत करके आनंद आगे बढ़ा। क्या बेटा क्यूं आए हो?