पीड़ा

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पीड़ा जिस तरह खुशी जीवन की एक सच्चाई है जन्म और मृत्यु जो चिरंतन सत्य है । उसी प्रकार दुख , कलह,तकलीफ, पीड़ा भी जीवन की सच्चाई है। हम इस से खुद को अलग नहीं कर सकते। जिस तरह कड़ी धूप के बाद बादल घिरता है ,और बरसात होती है उसी प्रकार जीवन में बड़ी कठिनाइयों के बाद ही खुशी आती है। हमें उस खुशी में अपनी तकलीफ के पल को भूलना नहीं चाहिए। आप महसूस करेंगे जब-जब आपको तकलीफ का सामना करना पड़ा होगा। पीड़ा महसूस हुई होगी । आप विचलित भी हुए होंगे परंतु इस बात पर