पूर्ण-विराम से पहले....!!! 3. शिखा सोचने बैठी तो एक के बाद एक अतीत का पृष्ठ उलटता ही चला गया| स्कूल,कॉलेज, प्रखर का मिलना, फिर समीर से विवाह और समीर के विदा लेने के बाद उसकी डायरियों का मिलना..रिश्तों से जुड़े समीकरण.. कितनी बातें कितनी यादें.. अथाह समंदर के जैसी.. जितना गहरे उतरते जाओ.. कितनी रंग-बिरंगी सीपियाँ आस-पास बिखरी हुई दिख रही थी| कुछ बदरंग सीपियाँ भी जीवन के यथार्थ को सहेजे हुई थी| माँ-बाऊजी के जाने के बाद घर के बड़े बेटे-बहु होने के नाते समीर और शिखा ने मिलकर पैत्रक घर के सभी निर्णय लिए थे। यह घर आगरा