गवाक्ष - 9

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गवाक्ष 9= प्रथम मिलन की रात्रि में स्वाति ने अपने संस्कारों के तहत पति के पैर छुए ; "यह क्या बकवासबाज़ी है ----यह मत समझना इन दिखावटी बातों से मैं तुम्हारे प्रभाव में आ जाऊँगा ---" और वह झल्लाकर कमरे से बाहर निकल गया । स्वाति चुपचाप उसे देखती रही थी । वह पुरातन अंधविश्वासी परंपराओं से जकड़ी हुई नहीं थी । सब कुछ जानते, समझते, बूझते उसने सत्यव्रत जैसे लड़के को पति के रूप में स्वीकार किया था । विवाह उसके लिए चुनौती था तो पति को सदमार्ग पर लाना, माँ व पुत्र के बीच सेतु बनना, सत्यप्रिय के ह्रदय में माँ के प्रति आदर व