राम रचि राखा - 1 - 8

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राम रचि राखा अपराजिता (8) फरवरी शुरु हो गया था। ठण्ड काफ़ी कम हो चुकी थी। फिर भी शाम में छह बजे तक धुंधलका छाने लगता था। उस दिन अनुराग मेरी ओफिस आया। आते ही बोला, “तुम्हारे लिए एक सरप्राईज़ है।“ "क्या...?" मेरी प्रश्नवाचक दृष्टि उसके चेहरे की तरफ उठ गई। "उसके लिए तुम्हें मेरे साथ चलना होगा...तुम्हारे पास एक-दो घंटे हैं? "अधिक समय तो नहीं लगेगा...? साढ़े आठ बजे मेरी एक मीटिंग है।" "तब तक हम वापस आ जाएँगे।" मैं अनुराग के साथ चल पड़ी। अनुराग ने अपनी कार एक नए बने हुए हाऊसिंग काम्प्लेक्स के अन्दर रोकी। मुझे थोड़ा