केसरिया बालम डॉ. हंसा दीप 12 चुप्पियों का बढ़ता शोर धानी महसूस करती कि उसका प्यार जताना अब बाली को अच्छा नहीं लगता। वह तो सिर्फ इतना चाहती थी कि अगर कोई परेशानी है तो उसका समीप्य बाली को उनसे बाहर निकालने में मदद करेगा। लेकिन शायद बाली अपनी समस्याओं से जूझते हुए धानी से दूर रहना चाहता था। जितनी दूरी वह बनाता वह उतना ही करीब आना चाहती। बाली को किसी मुश्किल में देख धानी का दिन-ब-दिन गहराता हुआ भाव ऐसा था जो कभी एक प्रेयसी का होता तो कभी एक मित्र का। कभी दिल इतना बड़ा हो जाता