एक कबूतरी का मदर्स डे

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"एक कबूतरी का मदर्स डे"आसमान में काले बादल उमड़ घुमड़ रहे थे। तेज हवाएँ एक अजीब सी आवाज के साथ आँधी का रूप ले चुकी थीं। अपार्टमेंट के हर फ्लोर से कभी खिड़की तो कभी दरवाजे के अचानक आई तेज आँधी की वजह से पटका-पटकाकर बंद होने की आवाजें आने लगी थी। मैं भी झटपट खुले दरवाजे और खिड़कियाँ बंद करने में जुट गई। गृहस्थी बड़ी निराली चीज है….गृहिणियों को एक साथ कई कार्य करने पड़ते हैं। घर के खुले दरवाजे बंद करते-करते मुझे याद आया कि गैस पर दूध चढ़ा हुआ है। अपने बेटे को बाकी की खुली