सुबह का समय था सत्यजीत और अरूप जी दोनों नहा कर तैयार थे ।सत्यजीत -चलो अरूपअरूप -हां चलो मैं सोच रहा हूं आज कि मैं पूरी दिनचर्या ही लिख लूँ ।सत्यजीत -हां ठीक हैफिर अरुप बाबू ने अपनी डायरी में लिखना शुरु कर दिया - सुदर्शन बाबू की हत्यासत्यजीत और मैं घर से निकले और सत्यजीत ने गाड़ी को रोका और हम दोनों हरिनाथ बाबू के घर पहुंचे दो मंजिला घर था बड़ा सा दिखने में भी बहुत सुंदर था मैंने दरवाजा खटखटाया तभी भीतर से किसी महिला की आवाज आई 'आ