जैसा कि गर्मी का मौसम था तो दिनेश ड्राइवर ने पहले से ही कार का A .C चालू रखा था। वो मेरे व्यवहार से पूरी तरह वाकिफ़ था कि साहब इंस्पेक्शन पर गए है जरूर गरम होकर ही आएँगे। इधर मेरे आते ही दिनेश ने गाड़ी का दरवाज़ा खोल दिया। दिनेश ! चलो - पीछे बैठते ही मैंने बोला। गांव की सकरी सड़को को चीरते हुए हम कब मुख्य मार्ग पर आ गए , समय का पता ही नहीं चला। ट्रिन ... ट्रिन ... निकल लिए ? - उधर से सुनीता का फ़ोन आया। हां निकल लिया हूँ।