कर्म पथ पर - 58

  • 5.5k
  • 1.8k

कर्म पथ पर Chapter 58हैमिल्टन दीवान पर मसनद लगाए हुए लेटा था। उसके सामने मेज़ पर शराब की बोतल रखी थी। उसके हाथ में गिलास था। जिसे उसने अभी अभी एक सांस में खाली किया था। उसकी बची हुई एक आँख लाल थी। इस लाली का कारण नशे से अधिक उसका गुस्सा था। वह सामने खड़े महेंद्र को घूर रहा था। महेंद्र नज़रें झुकाए हुए था। फिर भी वह हैमिल्टन की जलती हुई आँखों को महसूस कर रहा था। वह डर से कांप