होने से न होने तक - 43

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होने से न होने तक 43. प्रबंधतंत्र इस तरह के हथकण्डों पर उतर आएगा ऐसा हम सोच भी नही सकते थे। ‘‘सारी पावर्स को अपने हाथ में ले लेने का तरीका है यह।’’मानसी जी ने कहा था। पास मे खड़े कई लोगों ने हामी भरी थी। ‘‘इनके इस सर्कुलर के बाद प्रिसिपल की न तो कोई अथॉरिटी ही बची है न उनका कोई रोल ही रह गया है।’’ केतकी धीरे से बुदबुदायी थी। उसके स्वर में झुंझलाहट है। दीपा दी के स्वर में थकान है,‘‘मैं यहॉ क्या कर रही हूं ।’’वे जैसे आत्मालाप कर रही हों,‘‘इस कुर्सी पर क्यों बैठी