अधूरा इश्क़ - 2

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जैसे की अपने पहले ही जान लिया कि एक लड़के और लड़की की एक हसीन तो नहीं कह सकते पर एक अनोखी मुलाक़ात ज़रूर हुई। इसे सिर्फ़ एक मुलाक़ात ही कहे ये सही होगा या गलत ये आप पर ही छोड़ता हूं। ख़ैर आज जो हुआ उसे कौन भूलने वाला था। हाथ पैर की चोट तो हर किसी को नज़र आ रही थी लेकिन असली चोट तो दिल पर लगी थी। वो भी मेरे दिल पर । जिसके बाद मुझे ये शरीर के कोई जख्म कोई तकलीफ़ नज़र ही नहीं आ रही थी। थी तो बस इन आंखों में उस