सुनहरी साँझ

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सुनहरी साँझ---लवलेश दत्त“हैलो! भइया...” वीरेन्द्र ने बड़े भाई सुरेन्द्र को फोन किया।“हाँ वीरू! क्या हुआ?” “क्या हुआ? आप तो इतने बिजी रहते हैं कि आपको कुछ खबर ही नहीं”“पर हुआ क्या? इस तरह क्यों बोल रहा है?”“अरे, बताऊँगा तो होश उड़ जाएँगे”“अब पहेलियाँ मत बुझाओ, सीधे-सीधे बताओ क्या बात है? ऐसा कौन-सा पहाड़ टूट पड़ा जो ऑफिस टाइम में डिस्टर्ब कर रहे हो?”“पहाड़ ही टूट पड़ा है, ज़रा मम्मी का व्हाट्सएप स्टेटस और फेसबुक की पोस्ट देखो”“क्यों क्या हुआ? तुम्हीं बता दो, अभी फुरसत नहीं है यह सब देखने की।”“मम्मी शादी करने जा रही हैं।”“व्हाsssssट...क्या कह रहे हो वीरू? आई कान्ट