फौजी

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कहानी फौजी डॉ. हंसा दीप भारत में बगैर आरक्षण के रेल में सफर करने की चुनौती को हम मध्यवर्गीय लोग कतई स्वीकार नहीं करते, बशर्ते, हालात् मजबूर न कर दें। ऐसी ही यात्रा करनी थी हमें वास्को से बंगलौर तक। चूंकि गाड़ी वास्को से ही शुरू होती थी, इसलिए कुली ने सौ रुपए लेकर जनरल कोच में आरक्षण कर दिया। वे सौ रूपए भी बहुत खटकते रहे जब गाड़ी चलने पर भी डिब्बा लगभग खाली ही रहा। उस अनायास मिले स्वर्गिक सुख को भोगते हुए हम चारों प्राणी अलग-अलग सीट पर लेट गए। मानो ज़िन्दगी में फिर कभी भारतीय