राम रचि राखा - 1 - 5

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राम रचि राखा अपराजिता (5) अगले दिन रविवार को डांस क्लास से जब बाहर निकले तो लान से गुजरते हुए एक बेंच पर हम बैठ गये। कुछ देर तक डांस स्टेप्स के बारे में बातें करते रहे। जब हम चलने को तैयार हुए तो उसने कहा, "अगर तुम्हारे नॉर्मल वोर्किंग आवर्स होते तो हम वीक डेज़ में भी कभी शाम को मिल सकते थे न।" मैं उनकी तरफ देखने लगी थी। ऐसा लगा कि जैसे कोई बच्चा बड़ी मासूमियत से चोकलेट माँग रहा हो। 'हम अब भी मिल सकते हैं...शाम को मैं कभी-कभी जब वर्क लोड ज्यादा न हो तो एक आध