लॉकडाउन के पकौड़े

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" लॉकडाउन के पकौड़े"बाहर बूँदाबादी हो रही थी।मौसम बड़ा ही सुहावना था।ठंडी हवा,हरियाली का नजारा और लॉकडाउन में घर बैठने की फुरसत - मैं बड़े आराम से अपनी सातवीं मंजिल के फ्लैट के बरामदे में झूले पर बैठा अखबार उलट-पुलट रहा था।दोपहर के तीन बजने वाले थे और चाय पीने की जबरदस्त तलब हो रही थी।मैंने वहीं से पत्नी को आवाज लगायी-"अजी, सुनती हो, एक कप चाय भेज दो जरा।" कोई हलचल नहीं हुई, न कोई जवाब आया।सोचा, शायद किसी काम में व्यस्त होंगी, मेरी आवाज नहीं सुन पायी होंगी। एक बार फिर पुकार कर कहा- "अरे भाई, कहाँ हो,