मानसिक रोग - 6

  • 4.2k
  • 1.6k

अब तक आप श्लोका के बचपन से लेकर उसके मैनेजर बनने तक का सफ़र जान चुके है। अब हो रही है श्लोका की ज़िन्दगी की नई शुरआत। आइए पढ़ते हैं आगे की कहानी। श्लोका निश्चित कर चुकी थी वह किसी अनजान शख़्स के नाम अपनी पूरी ज़िंदगी नहीं करेगी किन्तु इस पर माता-पिता का सहयोग न था। श्लोका अपने माता-पिता से बहुत प्रेम करती थी। वह उनका दिल नहीं दुखाना चाहती थी परंतु वह अपनी ज़िंदगी के फैसले भी खुद करना चाहती थी। कितनी अजीब बात है ना