अपनों के बीच

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अपनों के बीच गर्मी में झुलसता मई का महीना। जीवन-मरण के बीच झूलती अम्मा । सबको खबर कर दी गई थी कि अम्मा अब नहीं बचेंगी। ये शायद उनकी अन्तिम बीमारी होगी। बेटे एवं बहू सभी अलग-अलग शहरों से आकर इकट्ठा हुए हैं। अम्मा की ख्वाहिश थी कि अपनी अन्तिम साँस अपने पुरखों के पुस्तैनी मकान में ले। इसलिए कुछ दिन पहले उन्हें गाँव पहुँचा दिया गया। तबियत अधिक बिगडी तो परिवार के अन्य लोग भी आ गये हैं। न डाक्टर, न अस्पताल, न कोई दवा। मौत की आहट से चौकन्ना-ठेल-ठेल कर बीतता हुआ एक-एक दिन। जिस खटिया पर अम्मा