भुइंधर का मोबाइल - 2

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भुइंधर का मोबाइल - प्रदीप श्रीवास्तव भाग 2 हां तो आने के बाद मैंने घर को जो भटियारखाना बना हुआ था उसे वास्तव में घर बनाया। यह रात को लौटे तो साफ-सुथरा घर देख कर बोले ‘अरे वाह मेरी रानी तुमने तो एकदम काया ही पलट दी।’ फिर हमको बांहों में जकड़ लिया और मुंह भर चूम-चूम कर गीला कर दिया। तब मुझे इनके मुंह से शराब का ऐसा भभका मिला कि मेरा सिर चकरा गया। ये शराब के नशे में बुरी तरह धुत्त थे। मार हमको चूमें जाएं, रगड़े-मसले जाएं। किसी तरह खुद को छुड़ा कर अलग हुई तो